हर बार लिखते समय मेरी यही कोशिश रहती है कि मेरी हर बात और
विचार आप तक वैसे ही पहुंचे जैसे कि मैं सोच रहा हूँ। किसी ऐसे माध्यम द्वारा पहुँचे जो उसी रूप में आप तक पहुँचे इसके लिए मैं कहानियों की सहायता लेता हूं क्योंकि यह मेरे लिए एक सरल और सरस प्रयोग रहता है। एक नई कहानी के साथ फिर एक बार आपसे मिलना हो रहा हैं "भाव ... तेरा भाव क्या है" जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है "भाव"। इस कहानी में हम जो भी समझने वाले हैं उसके पीछे मेरा भाव जो है वह आप तक पहुंच पाए यही मेरी अभिलाषा है तो चलते हैं कहानी की ओर ....
विचार आप तक वैसे ही पहुंचे जैसे कि मैं सोच रहा हूँ। किसी ऐसे माध्यम द्वारा पहुँचे जो उसी रूप में आप तक पहुँचे इसके लिए मैं कहानियों की सहायता लेता हूं क्योंकि यह मेरे लिए एक सरल और सरस प्रयोग रहता है। एक नई कहानी के साथ फिर एक बार आपसे मिलना हो रहा हैं "भाव ... तेरा भाव क्या है" जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है "भाव"। इस कहानी में हम जो भी समझने वाले हैं उसके पीछे मेरा भाव जो है वह आप तक पहुंच पाए यही मेरी अभिलाषा है तो चलते हैं कहानी की ओर ....
"भाव ... तेरा भाव क्या है"
एक राजा जो कि वेश बदलकर शिकार पर निकला हुआ था। घुड़सवारी करता हुआ वह वनों में प्रवेश कर गया दिनभर आखेट किया, हिरण और जंगली सुअर उसके पैने तीरों की भेंट चढ़ गए। दिन ढलते ढलते उसे थकान ने आ घेरा, ऊपर से प्यासा कंठ। इस अवस्था में राजा को एक निर्धन किसान की झोपड़ी दिखाई पड़ी उसने द्वार खटखटाया और शीतल जल मांगा।
गरीब किसान की पत्नी अतिथि देवो भवः में विश्वास रखती थी। इसलिए व्याघ्र वेश में होने पर भी उसने राजा को सम्मान पूर्वक आंगन में बिठाया। फिर हाथ में कटारी लेकर पास खड़े गन्ने के खेत में गई एक लंबा मोटा रसीला गन्ना चुना और काट कर ले आई। मिनटों में उसका ताजा रस निकाला और गिलास में भरकर अतिथि को अर्पित किया। रस की ताजगी पूर्ण मिठास, ठंडक और चमकीला हरा रंग का सफेद झाग देख मानो वह तृप्त हो गया हो। प्रकृति के स्वाद के मुकाबले उसको अपने सारे राजसी पकवान भी फीके लगने लगे। रस के हर घूंट ने उसका रोम रोम सरस कर दिया।
गरीब किसान की पत्नी अतिथि देवो भवः में विश्वास रखती थी। इसलिए व्याघ्र वेश में होने पर भी उसने राजा को सम्मान पूर्वक आंगन में बिठाया। फिर हाथ में कटारी लेकर पास खड़े गन्ने के खेत में गई एक लंबा मोटा रसीला गन्ना चुना और काट कर ले आई। मिनटों में उसका ताजा रस निकाला और गिलास में भरकर अतिथि को अर्पित किया। रस की ताजगी पूर्ण मिठास, ठंडक और चमकीला हरा रंग का सफेद झाग देख मानो वह तृप्त हो गया हो। प्रकृति के स्वाद के मुकाबले उसको अपने सारे राजसी पकवान भी फीके लगने लगे। रस के हर घूंट ने उसका रोम रोम सरस कर दिया।
पर यह क्या .... !!
उसके मस्तिष्क में एक अमधुर विचार भी पनप उठा, राजा सोचने लगा ये वन प्रांत के किसान बस देखने में ही गरीब लगते हैं इनकी भूमि तो सोना उगलती है सोना। मैं ही इनसे इतना कम कर लेता हूं। राज महल पहुंचते ही कर राशि दुगनी कर दूंगा। इतने में महिला ने पूछ लिया थोड़ा रस और लेंगे आप। अतृप्त राजा ने हां में सिर हिला दिया।
उसके मस्तिष्क में एक अमधुर विचार भी पनप उठा, राजा सोचने लगा ये वन प्रांत के किसान बस देखने में ही गरीब लगते हैं इनकी भूमि तो सोना उगलती है सोना। मैं ही इनसे इतना कम कर लेता हूं। राज महल पहुंचते ही कर राशि दुगनी कर दूंगा। इतने में महिला ने पूछ लिया थोड़ा रस और लेंगे आप। अतृप्त राजा ने हां में सिर हिला दिया।
वह पुनः खेत में गई और चुनकर एक गन्ना काटा। यह क्या गन्ना इतना मोटा था फिर भी रस की एक बूंद भी नही निकली, उसने दूसरा गन्ना कांटा उसमें भी रस नही निकला ..... तीसरा .....चौथा ..... एक साथ सारे गन्ने कैसे शुष्क हो गए। पास ही बैठा राजा भी सब देख रहा था उसने भी यही प्रश्न किया। महिला ने बुदबुदाते हुए उत्तर दिया भैया जरूर हमारे राजा जी के हृदय से करुणा सूख गई है, तभी तो यह शुष्क झाड़ बन गए है। आईये इस कहानी के संदेश को मिलकर समझने की कोशिश करते है।
हालांकि इस कहानी से अनेक राजनीतिक विश्लेषण निकाले जा सकते हैं। पर हम यहां एक बिंदु पर ध्यान दें, हृदय की भाव-भक्ति जो प्रकृति के हर कण से जुड़ी हुई है। यदि जीवन में हम नकारात्मक हो जाते हैं यानी हमारे भाव तो कुदरत भी हमें वैसे ही दर्शन कराती है। कई बार ईतना सोच समझकर कदम उठाते हुए भी गड़बड़ क्यों हो जाती है क्योकि तब भी यहीं होता है कि हमारे अंदर भाव किस प्रकार के है। पर यदि भाव तरंगे सुंदर हैं तो कभी ना कभी जीवन जरूर सुंदर मोड़ लेगा सब कुछ अनुकूल होता चला जाएगा। क्योंकि यहां यह समझना बहुत जरूरी है कि हर क्रिया, कार्य, प्रयोजन के पीछे हमारे विचार कार्य कर रहे है और उन विचारों के पीछे हमारी मंशा यानी भाव क्या है यानी जीवन मे हम अपने भावों को कितना महत्व देते है अर्थात कितना भाव (मूल्य) देते है
यही प्रकृति का नियम है कि वह हमें सबकुछ दे सकती है वह सबकुछ देने में इतनी सामर्थ्य रखती है पर उसकी एक ही शर्त है कि हमारे विचार और भाव वैसे हो। यदि हमारे, प्रयोजन कुछ ... और .... भाव कुछ ... होंगे। तब जीवन में भी हमें वही सबकुछ देखना पड़ेगा जैसे हमारे अंदर भावों का स्थान है फिर चाहे हम बाहर जैसे भी दिखे।
जैसा हमने इस प्रसंग में भी देखा, कि किस प्रकार राजा के भाव बदलते ही कुदरत ने करिश्मा कर दिखाया, कहानियां तो केवल प्रतीकात्मक होती है असल में तो उसके पीछे छुपे रहस्य और संदेश को समझना होता है कि वह हमें क्या सिखाना चाहती है। इस कहानी का उदेश्य केवल इतना ही है कि हम अपने जीवन मे भाव को कितना महत्व दे रहे है ..?, क्या हम करते कुछ और सोचते कुछ और है .. ? यानी हम बाहर से तो कुछ दर्शाते हैं मगर हमारे अंदर कुछ और ही चल रहा होता है ... ।
अब ऊपर दिए गए प्रश्नों का तो खुद से ही विश्लेषण करना है और खुद से ही खुद को बताना है कि हमारे जीवन में "भाव .... तेरा भाव क्या है" , कमेंट करके अवश्य बताये।
अपनी कलम को यही विश्राम देते हुए ....... 🖋️🖋️
एक और नई कहानी की तलाश के साथ एक नई सोच पर फिर मिलेंगे। इसी अभिलाषा के साथ ......… सधन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
जैसा हमने इस प्रसंग में भी देखा, कि किस प्रकार राजा के भाव बदलते ही कुदरत ने करिश्मा कर दिखाया, कहानियां तो केवल प्रतीकात्मक होती है असल में तो उसके पीछे छुपे रहस्य और संदेश को समझना होता है कि वह हमें क्या सिखाना चाहती है। इस कहानी का उदेश्य केवल इतना ही है कि हम अपने जीवन मे भाव को कितना महत्व दे रहे है ..?, क्या हम करते कुछ और सोचते कुछ और है .. ? यानी हम बाहर से तो कुछ दर्शाते हैं मगर हमारे अंदर कुछ और ही चल रहा होता है ... ।
अब ऊपर दिए गए प्रश्नों का तो खुद से ही विश्लेषण करना है और खुद से ही खुद को बताना है कि हमारे जीवन में "भाव .... तेरा भाव क्या है" , कमेंट करके अवश्य बताये।
अपनी कलम को यही विश्राम देते हुए ....... 🖋️🖋️
एक और नई कहानी की तलाश के साथ एक नई सोच पर फिर मिलेंगे। इसी अभिलाषा के साथ ......… सधन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
Happy thoughts ,How we can show our inner thinking as some time we want to say some positive to second person but due to lack of good communication we fail.
ReplyDeleteVirender kumar
कहानी के माध्यम से बहुत अच्छी शिफ्टिंग मिली है
ReplyDeleteहमारे भाव कैसे है वही फल लाते हैं 🙏🙏
इस कहानी से हमें बहुत अच्छी शिक्षा मिलती है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सोच 👌👍
आप सभी शुभचिंतकों का धन्यवाद ...।
ReplyDeleteVery beautiful
ReplyDeleteधन्यवाद ... ।
ReplyDeleteसुंदर तरीके से भावों का भाव प्रकट किया है, अतिसुंदर
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद ...।
Delete"यदि जीवन में हम नकारात्मक हो जाते हैं यानी हमारे भाव तो कुदरत भी हमें वैसे ही दर्शन कराती है।"आपके " भावों "को जानकर मैं भावविवार हो गई। हमारे मन -कर्म और विचारों के भीतर जो भाव समाहित होते हैं प्रकृति भी हमें वही दर्शन कराती हैं। आपने बहुत ही सुंदर विचारो के मोती पिरोये हैं ,आप अपनी लेखनी से ऐसे ही मोती बिखेरते रहे यही शुभकामना हैं ,आपने मुझे शायद कोई मेल किया था मगर मैं वो नहीं देख पाई और अब वो अनजाने में डिलीट हो गया हैं ,इसके लिए क्षमा चाहती हूँ। सादर
ReplyDeleteसादर नमस्कार,
Deleteकामिनी जी आपकी ओर से दी गई मंगल कामनाओं के लिए धन्यवाद, आपको वह मेल दोबारा फारवर्ड कर दूंगा।
सधन्यवाद ....।
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteकामिनी जी आपकी ओर से दी गई मंगल कामनाओं के लिए धन्यवाद, आपको वह मेल दोबारा फारवर्ड कर दूंगा।
सधन्यवाद ....।
आपने पिछले माह ब्लॉग लिखना शुरू करते हुए एक के बाद एक २० पोस्ट लिखी है। एक माह में निरंतर पोस्ट लिखने से निश्चित ही आपके अंदर लिखने का जो जज्बा दिखा, वह प्रशंसनीय है। आपने अधिकांश पोस्ट में अपनी बात कहानियां का सहारा लेकर लिखी है, जो बहुत अच्छा प्रयास है, आपने एक माह में २० पोस्ट लिखी है, आप इसी तरह लिखते रहे, किन्तु इस विषय मेरा एक सुझाव यदि आपको यदि अच्छा लगे तो अपना सकते हैं कि एक माह में केवल ५-६ पोस्ट प्रकाशन ही करें, बाकी को ड्राफ्ट के रूप में आगे सहेज कर रख सकते हैं, क्योंकि अभी तो लॉक डाउन हैं और समय भी है आगे शायद ऐसा समय न मिले इसलिए धीरे-धीरे आगे बढ़ना ही मेरे मत में ज्यादा उपयुक्त होता, धीरे-धीरे चलकर ही कोई लम्बी दौड़ लगा सकने में सक्षम होता है। और हाँ अलग विषय के ब्लॉग बनाने से बचे, एक ही ब्लॉग में अलग विषय लिखें तो बेहतर होगा, क्योंकि इससे उन्हें एक साथ लेकर चलना बहुत मुश्किल होता है, बहुत से ब्लॉगर को देखते-पढ़ते आये हैं इसलिए कह रही हूँ।
ReplyDeleteआप खूब लिखें और हमेशा लिखते रहें, पोस्ट करते रहें किन्तु अंतराल का ध्यान हो तो ज्यादा अच्छा होता। शेष फिर कभी
हार्दिक शुभकामनाओं सहित
कविता जी,
Deleteआपके द्वारा दिया गया सुझाव वाकई विचारणीय है, क्योंकि अभी तो लॉक डाउन की वजह से भरपूर समय है पर आगे इसी तरह लगातार लिखते रहने के लिए बैकअप भी होना बहुत जरूरी है, आपके द्वारा इसी प्रकार के मार्गदर्शन की आशा रहेगी।
आपकी शुभकामनाओ के लिये एक बार फिर से धन्यवाद।
🙏🏻🙏🏻
कविता जी,
ReplyDeleteआपके द्वारा दिया गया सुझाव वाकई विचारणीय है, क्योंकि अभी तो लॉक डाउन की वजह से भरपूर समय है पर आगे इसी तरह लगातार लिखते रहने के लिए बैकअप भी होना बहुत जरूरी है, आपके द्वारा इसी प्रकार के मार्गदर्शन की आशा रहेगी।
आपकी शुभकामनाओ के लिये एक बार फिर से धन्यवाद।
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कहानी के माध्यम से बहुत ही अच्छी बात समझायी है आपने...सचमुच भाव का बहुत ही महत्व होता है जीवन में ...और कहते भी हैं कि जीवन तो कल्पवृक्ष समान हैं जैसा चाहते हैं वैसा पाते हैं...
ReplyDeleteनायाब सृजन हेतु अनंत शुभकामनाएं।
सुधा जी,
Deleteएक नई सोच पर आपका स्वागत है, आपकी मंगल कामनाओं का सहृदय धन्यवाद एवं आगे भी आपके मार्गदर्शन का अभिलाषी।
सधन्यवाद
🙏🏻🙏🏻💐💐
सुधा जी,
ReplyDeleteएक नई सोच पर आपका स्वागत है, आपकी मंगल कामनाओं का सहृदय धन्यवाद एवं आगे भी आपके मार्गदर्शन का अभिलाषी।
सधन्यवाद
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भाव विचार वाणी एक होने पर ही सकारात्मक परिणाम आता है। बहुत बढ़िया। धन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद ...💐💐
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