Thursday, April 9, 2020

अंदर क्या है ?




एक नई सोच के साथ आज की कहानी पढ़ते है .....…



एक आदमी गुब्बारे बेच कर जीवन-यापन करता था। वह गाँव के आस-पास लगने वाली बाजारों में जाता और गुब्बारे बेचता। बच्चों को लुभाने के लिए वह तरह-तरह के गुब्बारे रखता …. लाल, पीले, हरे, नीले …. और जब कभी उसे लगता की बिक्री कम हो रही है, तो वह झट से एक गुब्बारा हवा में छोड़ देता, जिस वजह से वहां रहने वाले बच्चे गुब्बारा उड़ता देखकर खुश हो जाते और गुब्बारे खरीदने के लिए पहुँच जाते थे।

 एक दिन वह एक जगह गुब्बारे बेच रहा था, बिक्री बढाने के लिए बीच-बीच में गुब्बारे उड़ा रहा था। तभी पास ही खड़ा एक छोटा बच्चा ये सब देख रहा था। इस बार जैसे ही गुब्बारे वाले ने एक सफ़ेद गुब्बारा उड़ाया वह तुरंत उसके पास पहुंचा और मासूमियत से बोला, काका जी एक बात बताएं कि अगर आप ये सफेद की जगह लाल गुब्बारा छोड़ेंगे…तो क्या वो भी ऊपर जाएगा ?

गुब्बारे वाले ने उस छोटे से बच्चे को ध्यान से देखा और बोला, हाँ बेटा बिलकुल जाएगा। गुब्बारे का ऊपर जाना इस बात पर नहीं निर्भर करता है कि वो किस रंग का है बल्कि इस बात पर है, कि उसके अन्दर क्या है। और उसने उसे यह भी बताया कि हम किसी भी जाति-रंग के है, या हमारा पहनावा कैसा है इस बात का कोई असर नही पड़ता।

  ठीक इसी तरह इस बात से यह तय होता है कि हमारे अंदर क्या है ना कि ये उसके बाहरी रंग-रूप पर। इसी तरह अपनी जीवन शैली को सही और सुंदर बनाना है, तो हमें इस बात पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए कि हमारे अंदर क्या है, न कि हम बाहर से कैसे दिखते है। अंदर यानी हमारे गुण - जैसे हमारा बोलचाल, व्यवहार, विनम्रता, शालीनता, सरलता, धैर्यता, विवेक ....... आदि।

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धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

2 comments:

हाइकू कविता 1

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