Friday, May 8, 2020

अंतर्मन


यहां कुछ पक्तियां आपके समक्ष रख रहा हूँ,
जिसमें मन से आशय अंतर्मन से है। सब यह भली भांति जानते ही है, कि अंतर्मन में इतनी शक्ति होती है, कि वह जो भी मान और ठान ले वह साकार रूप लेता ही है। इसी साकारता को अपने शब्दों में पिरोने का प्रयास किया है, जो आपके सामने प्रस्तुत है।

"जब मान लिया मन में"

जब मान लिया मन में
जब ठान लिया मन में

विश्वास किया मन से
सब पा लिया पल में
जो भी चाहा मन में
वो सब पाया पल में

जब मान लिया मन में
जब ठान लिया मन में

तब सृजन हुआ मन में
साकार हुआ पल में
तब भोर हुआ जग में
प्रकाश हुआ नभ में

जब मान लिया मन में
जब ठान लिया मन में

तब प्रेम हुआ सब से
करुणा आई दिल में
नम हृदय हुआ पल में
उसे देख लिया सब में

जब मान लिया मन में
जब ठान लिया मन में

जब मैं मिटा दिल से 
तब प्रेम हुआ सब से
रस धार बही दिल में
उसे देख लिया सब में 

जब मान लिया मन में
जब ठान लिया मन में

मन - अंतर्मन
मैं - अहमं

16 comments:

  1. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर....।
    जब मैं मिटा दिल से
    तब प्रेम हुआ सब से
    रस धार बही दिल में
    उसे देख लिया सब
    ये मैं(अहंकार) मिटते ही प्रेम रसधार बहने से सब सम्भव हो जाता है।

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  2. तब प्रेम हुआ सब से
    करुणा आई दिल में
    नम हृदय हुआ पल में
    उसे देख लिया सब में


    बहुत खूब.,बेहतरीन अभिव्यक्ति
    मेरे नए ब्लॉग पर स्वागत हैं आपका
    https://kaminisinha.blogspot.com/

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    1. आपके नए ब्लॉग पर हम आपके सहयात्री रहेंगे .......💐💐💐

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  3. नम हृदय हुआ पल में
    उसे देख लिया सब में
    बहुत सुंदर अभिव्क्ति मन को छू गई पंक्तियां 🙏🌷

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१६-०५-२०२०) को 'विडंबना' (चर्चा अंक-३७०३) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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    Replies
    1. अनीता जी,

      एक नई सोच पर आपका स्वागत है, मेंरे द्वारा लिखे इस लेख को आपने पढ़ा उसके लिए धन्यवाद और "चर्चा मंच" पर इस लेख को चर्चा के लिए चुना जिसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा। एक बार फिर से आपका बहुत बहुत धन्यवाद ....💐💐💐

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  5. ओमकार जी,

    एक नई सोच पर आपका स्वागत है ...💐💐

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  6. बहुत खूब.,बेहतरीन अभिव्यक्ति

    ब्लॉग पर स्वागत हैं
    https://sanjaybhaskar.blogspot.com/

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  7. बहुत बढ़िया पंक्तियां।👌👌👍😊

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  8. बहुत बढ़िया पंक्तियां।👌👌👍😊

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