Wednesday, April 8, 2020

तितली का संघर्ष




एक बार एक आदमी अपने गार्डन में टहल रहा था, तभी उसने



 एक टहनी पर लटकता हुआ एक तितली का कोकून देखा। अब हर रोज़ वह आदमी उसे देखने लगा , और एक दिन उसने पाया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है। उस दिन वह वहीँ बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा। उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही थी , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से बाहर नहीं निकल पायी, तब वो हार मान कर बिलकुल शांत हो गई, और उसने अपनी कोकून से बाहर आने की जद्दो जहद को कुछ देर के लिए रोक दिया।

इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा। वह उठा और दौड़ कर गया, एक कैंची ले आया और कोकून के छेद को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके, और यही हुआ। तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर ये क्या उसका शरीर सूजा हुआ था, और पंख सूखे हुए थे।



वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी क्षण अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। बल्कि इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई। और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी।

वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में भी संघर्ष ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है। यदि हम बिना किसी संघर्ष के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे। बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन पाएंगे जितना हमारी काबिलियत और क्षमता है। इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जाएगी। जिसकी  वजह से हम अपनी ज़िन्दगी की सही उड़ान को पा सकेंगे।

आपको यह कहानी पढ़ कर कैसा लगा, नीचे दिए गए Comment Box में जाकर अवश्य बताएं और इस Page को Follow करें। जिससे मुझे भी और ज्यादा लिखने के लिये प्रेरणा मिलती रहे, साथ ही साथ एक बात और बताना चाहता हूँ कि Story कोना में आपको हर दिन एक Story (कहानी) अवश्य मिले। यह मेरा प्रयास रहेगा। अगर आपको जरा सा भी लगा कि इस प्रकार की कहानी सभी तक पहुंचे तो इस Page को सभी के साथ अवश्य शेयर करें।



मैं अगली पोस्ट जल्द से जल्द लिखकर आप सभी तक पहुँचाने वाला हूँ और मेरी सभी पोस्ट के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाए।



Link : - http://eeknaisoch.blogspot.com

8 comments:

  1. बहुत बढ़िया
    सही है हम समझ नहीं पाते कि हमारा सघर्ष हमारी उचतम अभिव्यक्ति के लिए ही है कुदरत हमें जीवन में जो भी चुनौती देती है वो हमारे खुलने खिलने के लिए ही है बहुत अच्छी कहानी
    Gud luck

    ReplyDelete
  2. Bahut badiya kavita hai 👌👌🙏 ak num pappi bhaia 👌👌

    ReplyDelete
  3. 👌👌👌hamare vikas ke liye khilne khulne ke liye jiwan mei sangharsh jaroori hai
    Nai soch aati hai drishtikon badalta hai Bahut badhiya Dhanyawad 🙏🙏

    ReplyDelete
  4. आप सभी का बहुत बहुत धनुवाद।

    ReplyDelete
  5. बहुत बढिया !!! संघर्ष ही यश और वैभव का मूल है |

    ReplyDelete
  6. दीदी जी आपने मेरे ब्लॉग पर आकर इस छोटे भाई को कृतार्थ किया, और सभी लेख पढ़ें उसके लिए आपका धन्यवाद। कल के लिए एक लेख पर लेखन जारी है।

    🙏🏻🙏🏻💐💐

    ReplyDelete

हाइकू कविता 1

उठो मानव