Saturday, May 30, 2020

प्यासे पंछी





गर्मी से हाल बेहाल लोग तो क्या
बेचारे पशु पक्षी भी प्यास से मर रहे हैं, उनका खास ख्याल रखें। इन दिनों हर एक के पास व्हाट्सएप और फेसबुक पर यह मैसेज जोरों शोरों से शेयर किया जा रहा है। राहुल के व्हाट्सएप पर जैसे ही यह मैसेज फ्लैश हुआ वह पानी का कटोरा लेकर सीधा छत की ओर दौड़ पड़ा उसकी छत पर ढेरों पक्षी जो बैठे होते थे।

राहुल अभी सीढ़ियों से नीचे उतर ही रहा था, कि तभी बूढ़ी दादी ने आवाज लगाई राहुल बेटा जरा एक गिलास पानी तो पिला दे। कब से पानी मांग रही हूं जिसको देखो वही फोन में घुसा हुआ है, न जाने इस फोन में ऐसा है क्या ... ??




राहुल : दादी तुम भी ना.... बिना बात के ही बुढ़ बुढ़ाती ही रहती हो ...... पता भी है .... दिन में कितनी बार तुम पानी मांगती रहती हो ...... और बहुत से काम है मेरे पास....। हमें तुम्हें पानी पिलाने के अलावा भी .... कई काम है ....। थोड़ा ठहर जाओ .....। इतना कहते हुए राहुल ने अपना फेसबुक अकाउंट ओपन किया झट स्टेटस टाइप किया, आज मैंने छत पर पक्षियों के लिए पानी रखा I have done my work, मैंने अपना कर्तव्य पूरा कर दिया।


          दोस्तों के लाइक्स और कमैंट्स की झड़ी सी लग गई। राहुल उस प्रशंसा को बटोरने में इतना गुम हुआ, कि बूढ़ी दादी को पानी पिलाना ही भूल गया। पर कोई था जो दादी की प्यास को नजर अंदाज न कर सका। आप जानते हैं ..…. कौन था ....? वह पक्षी ही थे। जिनके लिए कुछ देर पहले राहुल छत पर पानी का इंतजाम करके आया था। पक्षी आपस में बातचीत करते हुए बोलने लगे कि घर में दादी की प्यास नहीं बुझी तो हमारी प्यास कैसे बुझ सकती है। हम सब इस घर का पानी नहीं पियेंगे और बिना पानी पिए प्यासे ही उड़ गए।

यह तो एक वृत्तांत हुआ गर्मी के दिनों का पर आजकल जो परिस्थितियां विश्व भर में चल रही है उसके चलते हम सभी को यह ध्यान देना है कि घर में बुजुर्गों का आप कैसे ध्यान रखें।

आज समय आ चुका है जब हम कम से कम इस प्रकार के कार्य कर सकते हैं जब हम अपने घर में रहने वाले बुजुर्गों को, महिलाओं को लॉक डाउन में रहते हुए उनकी सहायता करते हुए, समय को भी व्यतीत कर सकते हैं साथ ही साथ इससे हमारा समय तो व्यतीत होगा ही, साथ ही साथ उनका भी लाभ होगा और यह जानकर हमें आश्चर्य करना चाहिए कि बड़े बुजुर्गों की सहायता के साथ हमें भी बहुत कुछ मिलने वाला है ।

पर यह भी सोचना है कि ऐसा सिर्फ और सिर्फ लॉक डाउन में ना रहे। अब हमें यह सीख लेनी है, कि लॉक डाउन खुलने के बाद भी हमें अपने बड़े बुजुर्गों और छोटों को प्यार देना है। बड़े बुजुर्गों की सहायता करनी है, घर पर कार्य करने वाली महिलाओं का भी साथ देना है। तभी इस पृथ्वी पर जो बदलाव महसूस हो रहे हैं घर के बाहर जो परिवर्तन हुए हैं वह परिवर्तन घर के अंदर भी दिखें, तभी इस वायरस या महामारी की चपेट में जो सकारात्मक पहलू उत्पन्न होंगे तभी साकार हो पाएंगे यदि यह सब लॉक डाउन के बाद भी जारी रहें।

तो अब हमने यह प्रण लेना है, कि जैसा हमने इन दिनों लॉक डाउन में किया - जैसे घर के बड़े बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं का साथ दिया यह सिर्फ और सिर्फ सेल्फियों में दर्ज न हों। आगे भी परिवार में हम सब मिलकर इसी तरह रहें, याद रहे यदि हम सब बड़े ऐसा कर पाए, तो सभी बच्चे देखा देखी यह सब कर पाएंगे और इस प्रकार के संस्कार उनमे अपने आप ही उपज पाएंगे। ताकि भविष्य में कोई भी पंछी प्यासा ना लौटे और बड़े बुजुर्ग भी प्यार के लिए प्यासे न रहें।



आज का लेख पढ़कर, आपको कैसा लगा इसके लिए टिप्पणी जरूर करें, ताकि आगे भी मैं इसी प्रकार लिख सकूं।


चित्र साभार गूगल

धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

22 comments:

  1. Motivating and a good msg for everyone Always be ready to help all

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  2. बहुत बढ़िया लेख है ।हम बाहर के सेवा तो कर लेते हैं लेकिन घर पर क्या सेवा या मदद कर सकते है इस पर ध्यान ही नहीं जाता या जरूरत नहीं समझते ।इस दोनों पर ध्यान दिलाया इसके लिए धन्यवाद ।🙏🙏

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  3. भविष्य में कोई भी पंछी प्यासा ना लौटे और बड़े बुजुर्ग भी प्यार के लिए प्यासे न रहें।... बहुत ही प्रेरणादायी और समसामय‍िक ... कृपया इसी तरह ल‍िखना जारी रखें

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  4. मीना जी,
    नमस्कार,

    मेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।

    सधन्यवाद ... 💐💐

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  5. आज के समाज का कटु सत्य...
    बहुत सटीक लिखा है आपने वाहवाही बटोरने के लिए सब कुछ कर सकते हैं

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    1. धन्यवाद आदरणीया 💐💐

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  6. वाह !बहुत ही खूबसूरत एवं प्रेणादायी कहानी आदरणीय सर.
    सादर

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  7. यह तो कल्युग का सत्य है
    https://yourszindgi.blogspot.com/2020/04/blog-post.html?m=0

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    1. एक नई सोच पर आपका स्वागत है।

      धन्यवाद 💐💐💐

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  8. वाह !प्रिय मुकेश आपकी प्रेरक पोस्ट पढ़कर मन गदगद हो गया | सच में बुजुर्ग प्यासे हों तो पक्षी कैसे तृप्त होंगें |राहुल को बस यही तो करना था पक्षियों के साथ- साथ प्यासी दादी का भी ध्यान रखता | लेकिन आजकल के युवा सोशल मीडिया की चका चौंध में इतना खोये हैं कि उनमें संवेदनाओं का स्तर शून्य हो गया है |ये पोस्ट आपके उदार व्यक्तित्व का आईना है सस्नेह |

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    1. आपकी सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया दीदी जी .... 💐💐

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  9. एक नई सोच पर आपका स्वागत है।

    💐💐💐💐

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  10. Very inspiring story

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