Wednesday, May 13, 2020

कभी सोचा न था ....




इन दिनों लॉक डाउन की 
स्थिति चल रही है। पूरे विश्व में सब कुछ थम सा गया है, इसी उधेड़बुन में खबरों को पढ़ते हुए कल, जब यह खबर पढ़ी कि मजदूरों ने रेल की पटरियों पर अपनी जान गवाई तो मन बड़ा आहत हुआ। पर अगले ही पल खबरें पढ़ते-पढ़ते एक फोटो दिखी और कुछ शब्दों ने मुझे आ घेरा और मुझसे सवाल किया कि


क्या कभी सोचा था .... ??

जवाब मिला - कभी सोचा न था .... 
और शब्दों ने मोड़ लिया और यात्रा शुरू हुई।

यह समय की मार है,
कब किसने सोचा था।

क्या इस काल को भी,
ऐसा नृत्य करना था।

मृत्यु ने तांडव रचा,
कब किसने सोचा था।।



क्या यहां भी कोई सोता है,
कब किसने सोचा था।

कैद में मानव जाती होगी,
कब किसने सोचा था।


पर सवाल ??? युहीं उठते रहे
कभी सोचा न था .... 
कभी सोचा न था ....

फिर मन को संभाला,
फिर मन को संभाला और सोचा कि

क्या कुदरत ने भी कभी सोचा था .... ??


कभी सोचा न था .... कि

नदियां कलरव करती नाचेंगी,
कब किसने सोचा था।

पशु-पक्षी भी गाएंगे,
कब किसने सोचा था।




यहां भी खिल सकते हैं फूल,
कब किसने सोचा था।


जहां मृत्यु ने तांडव रचा,

वहां ये भी हो सकता था।

27 comments:


  1. कब क्या होने वाला है ये सोच पाना इंसान की सोच के परे है हम सिर्फ सुख दुख के साक्षी हैं।
    इतना विश्वास है जल्दी ही सब सामान्य हो रहा है।
    🙏🙏 nice post

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    1. बिल्कुल सबकुछ सामान्य हो रहा है।

      हो हा है ....💐💐

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  2. garmiyo me milne wali chhutiiyo ka anand lena chahta tha bas bachpan ki yaade ko taza karna chahta tha.kya pata tha ki wo chhutti is bhayankar pryalakar bimari ka bahana lekar milegi..maine kapatmukta vichar diye he .parvah nahi koi kya soche,asha he jo bhi soche achchha, achchha likhe .from Virender kr .

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ...💐💐

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    1. धन्यवाद मेरे भाई ....💐💐💐

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  4. क्या इस काल को भी,
    ऐसा नृत्य करना था।

    मृत्यु ने तांडव रचा,
    कब किसने सोचा था।।
    सुन्दर सृजन ।

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  5. मीना जी,

    एक नई सोच पर आपका स्वागत है, मेंरे द्वारा लिखे इस लेख को आपने पढ़ा उसके लिए धन्यवाद और "चर्चा मंच" पर इस लेख की प्रविष्टि के लिए मैं आपका आभारी रहूँगा। मैं आगे भी आपके द्वारा मार्गदर्शन की आशा करता हूँ, जिससे मुझे आगे भी लेखन के लिए प्रोत्साहन मिलता रहे, एक बार फिर से आपका बहुत बहुत धन्यवाद ....💐💐💐

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  6. आपकी परिपक्व लेखनी और मान के लिए नमन 🙏 आपकी विनम्रता और मान भरे आभार के लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ. सादर...,

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  7. आदमी की सोच का दायरा बहुत सीमित है जो अपने किये का परिणाम भी नहीं सोच पाता.

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    1. एक नई सोच पर आपका स्वागत है ...💐💐

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  8. सच में ऐसा सोचा न था ,करोडों खर्च कर नदिया साफ न हुई ,वो अब हो रहीं
    मानव जीवन पर खतरा तो है ,पर कुछ सिखाता जाए कोरोना
    सुंदर रचना

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    1. जी सच मे ऐसा सोचा न था कि इस तरह हम सब सीखेंगे, पर खैर जो भी होगा अच्छा होगा।

      एक नई सोच पर आपका स्वागत है

      💐💐💐

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  9. जहाँ हमारी सोच समाप्त होती हैं सृष्टि वहाँ से नए सृजन की शुरुआत करती हैं ,बहुत ही सुंदर सोच

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    1. जी कामिनी जी,

      सृष्टि का नया सृजन होना ही है यह तो विश्वास है .... 💐💐

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  10. बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति

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    1. एक नई सोच पर आपका स्वागत है ...💐💐

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  11. समय के फेर को दर्शाती मार्मिक अभिव्यक्ति.
    सादर

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    1. धन्यवाद आदरणीय ... 💐💐

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  12. This comment has been removed by the author.

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  13. बहुत ही सुंदर सोच मार्मिक अभिव्यक्ति.

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    1. संजय जी,

      एक नई सोच पर आपका स्वागत है ... 💐💐

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  14. संजय जी,

    एक नई सोच पर आपका स्वागत है ... 💐💐

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