इन दिनों लॉक डाउन की
स्थिति चल रही है। पूरे विश्व में सब कुछ थम सा गया है, इसी उधेड़बुन में खबरों को पढ़ते हुए कल, जब यह खबर पढ़ी कि मजदूरों ने रेल की पटरियों पर अपनी जान गवाई तो मन बड़ा आहत हुआ। पर अगले ही पल खबरें पढ़ते-पढ़ते एक फोटो दिखी और कुछ शब्दों ने मुझे आ घेरा और मुझसे सवाल किया कि
क्या कभी सोचा था .... ??
जवाब मिला - कभी सोचा न था ....
और शब्दों ने मोड़ लिया और यात्रा शुरू हुई।
और शब्दों ने मोड़ लिया और यात्रा शुरू हुई।
यह समय की मार है,
कब किसने सोचा था।
क्या इस काल को भी,
ऐसा नृत्य करना था।
मृत्यु ने तांडव रचा,
मृत्यु ने तांडव रचा,
कब किसने सोचा था।।
क्या यहां भी कोई सोता है,
कब किसने सोचा था।
कैद में मानव जाती होगी,
कब किसने सोचा था।
पर सवाल ??? युहीं उठते रहे
कभी सोचा न था ....
कभी सोचा न था ....
कभी सोचा न था ....
कभी सोचा न था ....
फिर मन को संभाला,
फिर मन को संभाला और सोचा कि
क्या कुदरत ने भी कभी सोचा था .... ??
क्या कुदरत ने भी कभी सोचा था .... ??
कभी सोचा न था .... कि
नदियां कलरव करती नाचेंगी,
कब किसने सोचा था।
पशु-पक्षी भी गाएंगे,
कब किसने सोचा था।
यहां भी खिल सकते हैं फूल,
कब किसने सोचा था।
जहां मृत्यु ने तांडव रचा,
वहां ये भी हो सकता था।
जहां मृत्यु ने तांडव रचा,
वहां ये भी हो सकता था।
ReplyDeleteकब क्या होने वाला है ये सोच पाना इंसान की सोच के परे है हम सिर्फ सुख दुख के साक्षी हैं।
इतना विश्वास है जल्दी ही सब सामान्य हो रहा है।
🙏🙏 nice post
बिल्कुल सबकुछ सामान्य हो रहा है।
Deleteहो हा है ....💐💐
garmiyo me milne wali chhutiiyo ka anand lena chahta tha bas bachpan ki yaade ko taza karna chahta tha.kya pata tha ki wo chhutti is bhayankar pryalakar bimari ka bahana lekar milegi..maine kapatmukta vichar diye he .parvah nahi koi kya soche,asha he jo bhi soche achchha, achchha likhe .from Virender kr .
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद ...💐💐
Delete👏
ReplyDeleteधन्यवाद मेरे भाई ....💐💐💐
Delete
ReplyDeleteक्या इस काल को भी,
ऐसा नृत्य करना था।
मृत्यु ने तांडव रचा,
कब किसने सोचा था।।
सुन्दर सृजन ।
मीना जी,
ReplyDeleteएक नई सोच पर आपका स्वागत है, मेंरे द्वारा लिखे इस लेख को आपने पढ़ा उसके लिए धन्यवाद और "चर्चा मंच" पर इस लेख की प्रविष्टि के लिए मैं आपका आभारी रहूँगा। मैं आगे भी आपके द्वारा मार्गदर्शन की आशा करता हूँ, जिससे मुझे आगे भी लेखन के लिए प्रोत्साहन मिलता रहे, एक बार फिर से आपका बहुत बहुत धन्यवाद ....💐💐💐
आपकी परिपक्व लेखनी और मान के लिए नमन 🙏 आपकी विनम्रता और मान भरे आभार के लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ. सादर...,
ReplyDeleteसही सोच।
ReplyDeleteधन्यवाद सर .... 💐💐
Deleteआदमी की सोच का दायरा बहुत सीमित है जो अपने किये का परिणाम भी नहीं सोच पाता.
ReplyDeleteएक नई सोच पर आपका स्वागत है ...💐💐
Deleteसच में ऐसा सोचा न था ,करोडों खर्च कर नदिया साफ न हुई ,वो अब हो रहीं
ReplyDeleteमानव जीवन पर खतरा तो है ,पर कुछ सिखाता जाए कोरोना
सुंदर रचना
जी सच मे ऐसा सोचा न था कि इस तरह हम सब सीखेंगे, पर खैर जो भी होगा अच्छा होगा।
Deleteएक नई सोच पर आपका स्वागत है
💐💐💐
सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद सर ... 💐💐
Deleteजहाँ हमारी सोच समाप्त होती हैं सृष्टि वहाँ से नए सृजन की शुरुआत करती हैं ,बहुत ही सुंदर सोच
ReplyDeleteजी कामिनी जी,
Deleteसृष्टि का नया सृजन होना ही है यह तो विश्वास है .... 💐💐
बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteएक नई सोच पर आपका स्वागत है ...💐💐
Deleteसमय के फेर को दर्शाती मार्मिक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद आदरणीय ... 💐💐
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सोच मार्मिक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसंजय जी,
Deleteएक नई सोच पर आपका स्वागत है ... 💐💐
संजय जी,
ReplyDeleteएक नई सोच पर आपका स्वागत है ... 💐💐