विचारोगीत में आज का गीत :
रूक जाना नहीं, तू कहीं हार के .......
Movie/Album: इम्तिहान (1974)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: किशोर कुमार
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के
ओ राही, ओ राही
सूरज देख रुक गया है
तेरे आगे झुक गया है
जब कभी ऐसे कोई मस्ताना
निकले है अपनी धुन में दीवाना
शाम सुहानी बन जाते हैं दिन इंतज़ार के
ओ राही, ओ राही...
साथी न कारवां है
ये तेरा इम्तिहां है
यूँ ही चला चल दिल के सहारे
करती है मंज़िल तुझको इशारे
देख कहीं कोई रोक नहीं ले तुझको पुकार के
ओ राही, ओ राही...
नैन आँसू जो लिये हैं
ये राहों के दीये हैं
लोगों को उनका सब कुछ दे के
तू तो चला था सपने ही ले के
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं सपने ये प्यार के
ओ राही, ओ राही...
गीत : - नदिया चले, चले रे धारा / चंदा चले, चले रे तारा के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
चित्र साभार गूगल
वीडियो साभार यूट्यूब
प्रेरणादायक गीत बहुत बढ़िया 👌👌
ReplyDeleteरुकना नहीं है चलते रहना है जब तक लक्ष्य पूरा ना हो 🙏🙏
धन्यवाद ...💐💐
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१३-0६-२०२०) को 'पत्थरों का स्रोत'(चर्चा अंक-३७३१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
आपका बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
Deleteसदाबहार अर्थपूर्ण गीत ,जो मन को छू ले ,धन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद 💐💐
Deleteअच्छा गीत याद दिलाया आपने प्रिय मुकेश |
ReplyDeleteदीदी जी बहुत बहुत 💐💐💐
Deleteप्रेरणादायक गीत बहुत बढ़िया
ReplyDeleteफुर्सत मिले तो नाचीज की देहलीज पर भी आए
संजय भास्कर
https://sanjaybhaskar.blogspot.com
एक नई सोच पर आपका स्वागत है।। 💐💐
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