भारत के रोचक तथ्य 2
आविष्कारों की दृष्टि से और आगे बढ़ते हैं तो गणित शास्त्र की तरफ ध्यान आकृष्ट होता है। इस क्षेत्र में भारत की देन
है कि विश्व आज आर्थिक दृष्टि से इतना विस्तृत हो सका है। भारत इस शास्त्र का भी जन्मदाता रहा है। शून्य और दशमलव की खोज हो या अंकगाणित, बीजगणित तथा रेखागणित की, पुरा विश्व इस क्षेत्र में भारत का अनुयायी रहा है। इसके विस्तार में न जाकर एक प्रमाण द्वारा इसकी महत्ता को समझ सकते हैं। यूरोप की सबसे पुरानी गणित की पुस्तक 'डेक्स विजिलेंस' है जो स्पेन की राजधानी मैड्रिड के संग्रहालय में रखी है। इसमें लिखा है "गणना के चिन्हों से हमें यह अनभव होता है कि प्राचीन हिन्दुओं की बुद्धि पैनी थी, अन्य देश गणना व ज्यामितीय तथा अंक गणितीय-विज्ञानों में उनसे बहुत पीछे थे। यह उनके नौ अंको से प्रमाणित हो जाता है। जिसकी सहायता से कोई भी संख्या लिखी जा सकती है।" भारत में गणित परम्परा के जो वाहक रहे हैं उनमें प्रमुख है आपस्तम्ब, बौधयान, कात्यायन, तथा बाद में ब्रह्मगुप्त, भास्करायचार्य, आर्यभट्ट, श्रीधर, रामानुजाचार्य आदि। गणित की तीनों विद्याएं जिसके बिना विश्व के किसी भी आविष्कार को सम्भव नहीं माना जा सकता भारत की ही अनुपम देन है।
है कि विश्व आज आर्थिक दृष्टि से इतना विस्तृत हो सका है। भारत इस शास्त्र का भी जन्मदाता रहा है। शून्य और दशमलव की खोज हो या अंकगाणित, बीजगणित तथा रेखागणित की, पुरा विश्व इस क्षेत्र में भारत का अनुयायी रहा है। इसके विस्तार में न जाकर एक प्रमाण द्वारा इसकी महत्ता को समझ सकते हैं। यूरोप की सबसे पुरानी गणित की पुस्तक 'डेक्स विजिलेंस' है जो स्पेन की राजधानी मैड्रिड के संग्रहालय में रखी है। इसमें लिखा है "गणना के चिन्हों से हमें यह अनभव होता है कि प्राचीन हिन्दुओं की बुद्धि पैनी थी, अन्य देश गणना व ज्यामितीय तथा अंक गणितीय-विज्ञानों में उनसे बहुत पीछे थे। यह उनके नौ अंको से प्रमाणित हो जाता है। जिसकी सहायता से कोई भी संख्या लिखी जा सकती है।" भारत में गणित परम्परा के जो वाहक रहे हैं उनमें प्रमुख है आपस्तम्ब, बौधयान, कात्यायन, तथा बाद में ब्रह्मगुप्त, भास्करायचार्य, आर्यभट्ट, श्रीधर, रामानुजाचार्य आदि। गणित की तीनों विद्याएं जिसके बिना विश्व के किसी भी आविष्कार को सम्भव नहीं माना जा सकता भारत की ही अनुपम देन है।
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