Saturday, April 11, 2020

क्या है बदला


 आज सुबह तड़के जब उठना हुआ, तो अनायास ही सोच विचार करते हुए, मुझे लगा कि




 एक नई सोच की जो पहल मुझसे हुई। उसके लिये सर्वप्रथम सभी का धन्यवाद, और लगा कि क्यों न अपनी कलम से काव्य रचना भी की जाए, जिससे एक नई सोच की समझ सभी तक काव्य रूप में पहुँचे। हालांकि मुझे इतना सटीक लिखना नही आता पर प्रयास जारी है, और आज एक रचना लिख पाया जो आप सभी के लिए प्रस्तुत है।

 "क्या है बदला"


क्या है बदला, क्यो है बदला
ये तो सब जानते है
चारो ओर हाहाकार मचा है
ये तो सब जानते है

सुबह और रात है बदली
पक्षियों की चहचहाट है बदली
नदी-झरनों की गड़गड़ाहट भी बदली
ये तो सब जानते है

पर हुआ है क्यो ???,
ये तो सोचो ....... 2

क्योंकि इंसान ने अपनी
रफ़्तार है बदली

अरे,
ये तो सब जानते है
क्या है बदला, क्यो है बदला ....

अब ...... !!!
अपने आप को जानना बाकी है
जी हाँ अपने आप को जानना बाकी है
अपने आप को पहचानना बाकी है
क्योंकि समय भी है और मौका भी

ये तो सब जानते है
क्या है बदला, क्यो है बदला ...... 2

उठो अब समय खूब है
बहाना कोई नहीं खूब है
कुदरत की पहचान हो तुम
ईश्वर की संतान हो तुम
क्या कर सकते ये नही जानते
अपनी शक्ति नही मानते

अरे
तुम तो उस रचना की उत्कृष्ट प्रतिमा हो
सृष्टि की पहचान हो तुम ....

कुदरत के रक्षक हो तुम
उसके नही भक्षक हो तुम
ये सब कुछ समझते थे तुम
पर क्या हुआ कि भूल गए

कुदरत की पहचान हो तुम
ईश्वर की संतान हो तुम

अब जाग उसी ने दिलाई है
पहचान तुम्ही से कराई है

ये क्या .... ????

फिर सो रहे हो तुम
दिवस युहीं खो रहे हो तुम
उठो अब समय खूब है
बहाना कोई नहीं खूब है
कुदरत की पहचान हो तुम
ईश्वर की संतान हो तुम

इस समय ......... अब इस समय

सब कुछ वो कर लो तुम
जो चाहते थे वो कर लो तुम
कुछ पढ़ लो या लिख लो तुम
कुछ घर के काम करो या
कुछ घर वालो को बना,
कर खिलाओ तुम

उठो अब समय खूब है
बहाना कोई नहीं खूब है
कुदरत की पहचान हो तुम
ईश्वर की संतान हो तुम

अब लॉक डाउन के बाद देखना है ........




क्या है बदला, क्यो है बदला
ये सबको बताना है
मैं हूँ बदला, तुम भी बदले
ये सबने पहचाना है
कुदरत की पहचान है हम
ईश्वर की संतान है हम
कुदरत की पहचान है हम
ईश्वर की संतान है हम....

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अपनी सोच में सकारात्मकता लाने के लिए हमेशा पढ़ते रहे, एक नई सोच के साथ।

Link : - 

http://eeknaisoch.blogspot.com

धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻


11 comments:

  1. अपने आप को जानने/पहचानने का अच्छा मौका - सकारात्मक सोच। बहुत बढ़िया

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  2. अपने आप को जानने/पहचानने का अच्छा मौका - सकारात्मक सोच। बहुत बढ़िया

    - महेश भूटानी

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  3. बहुत खूब अती सुंदर काव्य रचना
    अपने आप को भूल गए सब इसलिए कुदरत ने खेल है रचाया
    ईश्वर की संतान है हम ये जानने का भरपूर समय दिलाया
    नीना अग्रवाल 🙏🙏

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  4. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।।

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  5. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।

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