यह कहानी आप ने शायद पहले भी पढ़ी होगी, पर एक बार इसे पढ़कर अपनी यादें ताजा कर लेते है और इस कहानी के सारांश में
अपनी सोच को नए आयाम देने की कोशिश करते है जैसा की इस पेज का आधार है एक नई सोच तो आइए आज की कहानी से एक नई सोच से रूबरू होते है और पढ़ते है फुटा घड़ा।
अपनी सोच को नए आयाम देने की कोशिश करते है जैसा की इस पेज का आधार है एक नई सोच तो आइए आज की कहानी से एक नई सोच से रूबरू होते है और पढ़ते है फुटा घड़ा।
चित्र साभार गूगल |
बहुत समय पहले की बात है, किसी गाँव में एक किसान रहता था। वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था। इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था, जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था।
उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था, और दूसरा एक दम सही था। इस वजह से रोज़ घर पहुँचते -पहुचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था । ऐसा दो सालों से चल रहा था ।
सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है , वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है। फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया , उसने किसान से कहा , “ मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?”
“क्यों ? “ किसान ने पूछा , “ तुम किस बात से शर्मिंदा हो ?”
“शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ , और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चाहिए था बस उसका आधा ही पहुंचा पाया हूँ , मेरे अन्दर ये बहुत बड़ी कमी है , और इस वजह से आपकी मेहनत बर्वाद होती रही है .”, फूटे घड़े ने दुखी होते हुए कहा।
किसान को घड़े की बात सुनकर थोडा दुःख हुआ और वह बोला , “ कोई बात नहीं , मैं चाहता हूँ कि आज लौटते वक़्त तुम रास्ते में पड़ने वाले सुन्दर फूलों को देखो।”
घड़े ने वैसा ही किया , वह रास्ते भर सुन्दर फूलों को देखता आया , ऐसा करने से उसकी उदासी कुछ दूर हुई पर घर पहुँचते – पहुँचते फिर उसके अन्दर से आधा पानी गिर चुका था, वो मायूस हो गया और किसान से क्षमा मांगने लगा।
किसान बोला ,” शायद तुमने ध्यान नहीं दिया पूरे रास्ते में जितने भी फूल थे वो बस तुम्हारी तरफ ही थे , सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं हमेशा से तुम्हारे अन्दर की कमी को जानता था , और मैंने उसका लाभ उठाया। मैंने तुम्हारे तरफ वाले रास्ते पर रंग -बिरंगे फूलों के बीज बो दिए थे , तुम रोज़ थोडा-थोडा कर के उन्हें सींचते रहे और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया। आज तुम्हारी वजह से ही मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूँ और अपना घर सुन्दर बना पाता हूँ। तुम्ही सोचो अगर तुम जैसे हो वैसे नहीं होते तो भला क्या मैं ये सब कुछ कर पाता ?”
दोस्तों हम सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती है , पर यही कमियां हमें अनोखा बनाती हैं . उस किसान की तरह हमें भी हर किसी को वो जैसा है वैसे ही स्वीकारना चाहिए और उसकी अच्छाई की तरफ ध्यान देना चाहिए, और जब हम ऐसा करेंगे तब वह अच्छाई ही एक दिन हमारे जीवन के लिए मूल्यवान साबित हो सकेगी जैसे इस कहानी में “फूटा घड़ा” भी “अच्छे घड़े” से मूल्यवान साबित हुआ।
साथ ही साथ मेरा विचारना तो यहां तक भी है कि हमे भी अपने आप को वैसे ही स्वीकारना आना चाहिए जैसे हम है क्योंकि हर कोई अपने आप में श्रेष्ठ है। जैसे सूरज अपने आप में श्रेष्ठ तभी माना जायेगा जब उसे रात में जगमगाने वाले चाँद की श्रेष्ठता का भान हो क्योंकि उसे इस बात से कभी भी अनभिज्ञ नही रहना चाहिए कि जब उसके जाने का समय आएगा तभी तो मेरा उदय होगा। यानी कि सब अपने ही समय में रोशनी और चमक फैलाते है। इस बात को कभी भी किसी को नहीं भूलना चाहिए, तो आइए आज से ही हम ये प्रण लेते है कि यदि हम अपने आप को किसी से कमतर समझते है तो इस कहानी से मिली समझ के द्वारा अपने आप को कम न आंके और एक नई सोच के साथ अपने को वैसे ही स्वीकारें जैसे हम है।
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अपनी सोच में सकारात्मकता लाने के लिए हमेशा पढ़ते रहे, एक नई सोच।
Kya kehna 👍
ReplyDeleteBahut achchhi shifting mili hai apne liye bhi dusron ke liye bhi👌👌
ReplyDeleteNice explanation
Neena aggarwal
Thanks for sharing this beautiful story 🙏🙏🙏
ReplyDeleteBhut achha
ReplyDeleteआप सभी का आभारी, क्योकि आप सभी की टिप्पड़ियां (कमैंट्स) मुझे आगे भी और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करते है। एक बार फिर से आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद। 🙏🏻🙏🏻💐💐
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक पोस्ट , बधाई आपको
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है, आगे भी आपके मार्गदर्शन का अभिलाषी, आपका अनुज।
ReplyDeleteVery nice👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद ....... 🙏🏻🙏🏻💐💐
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट प्रिय मुकेश। लिखतेरहिये।
ReplyDeleteमनुष्य समझ और स्वऊर्जा से अपना आँकलन करे। इस टॉपिक को आपने बड़े सुदर तरीके से प्रस्तुत किया है। अतिसुंदर पोस्ट।
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद ... 🙏🏻🙏🏻
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