हर किसी को निर्णय लेने के पहले उसके
सभी पहलुओं को समझ लेना चाहिए। तो निर्णय लेने के पहले हमें ये भी देख लेना है कि इसके महत्वपूर्ण पहलु क्या है यानी इसके लाभ-हानि। साथ ही साथ सही समय पर सही निर्णय।
सभी पहलुओं को समझ लेना चाहिए। तो निर्णय लेने के पहले हमें ये भी देख लेना है कि इसके महत्वपूर्ण पहलु क्या है यानी इसके लाभ-हानि। साथ ही साथ सही समय पर सही निर्णय।
अब निर्णय लेने के पहले हर उस बात पर सोच विचार कर लेना जिससे उस स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। पर सोच-विचार इतना न बढ़ जाये कि किसी भी विषय का निर्णय हो ही नहीं पाए या सही समय पर निर्णय नहीं लिया जा सके। तो होता यह है कि सही समय पर निर्णय नहीं लेने से स्थित पहले के मुकाबले और भी ज्यादा उलझ जाती है और गंभीर रूप ले लेती है, मन मे भय और संशय बढ़ने लगता है। इसी पर एक पुरानी कहावत भी है कि "कुृदने से पहले दो बार सोच लें।"
पर सोच विचार इतना भी न बढ़ जाये कि हम उस परिस्थित में इतना उलझ जाएं कि वह हम पर हावी होने लगे। हमारे वर्तमान में सेंध लग जाये क्योंकि वर्तमान ही एक ऐसा क्षण है जो जीवन का सब कुछ है।
आगे बढ़ते हुए जान लेते है कि स्थितियां या समस्याएं किस प्रकार की होती है, जो हमारे जीवन को प्रभावित कर सकती है। तो यह समझने से पहले सोच कर देखें कि हम अपने जीवन को किस प्रकार से देखते है, यानी जीवन को देखने का हमारा नजरिया क्या है ? हम कैसा दृष्टिकोण रखते है ? .... इन सवालों के जवाब पर ही इस विषय को सही मायने में गहराई से समझा जा सकता है। यदि हमारा नजरिया दूरदृष्टि पर आधारित है और हम समस्याओं को किस प्रकार देख रहें है। ये इस बात पर निर्भर करता है कि हम जीवन को हमेशा उत्साह और उमंग से देखते है, तभी हम अपने वर्तमान के पलों को आनंदमयी बना सकते है।
अब जिस बात पर हमारी चर्चा शुरू हुई है कि निर्णय लेने के लिये समस्याएं, परेशानियां, स्थितियां, परिस्थितियां किस प्रकार की होती है। तो इसे यूँ समझते कि हर प्रकार की समस्याओं को मुख्यतया दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसके लिये दो प्रकार के निर्णय होंगे। पहले व्यवहारिक निर्णय और दूसरें वैचारिक या बौद्धिक निर्णय।
1. व्यवहारिक निर्णय : - इनमें वे कार्य आते है जो व्यवहार में आने वाली सभी ऐसी गतिविधियां जो दिन-प्रतिदिन घटती है। एक गृहणी के लिए जैसे सुबह उठते ही क्या बनाना है, बच्चों को उठाना है, उन्हें तैयार करना है ..... आदि आदि। एक पुरुष के लिए ऑफिस के लिए क्या पहनना है, ऑफिस में पहले कौन सा कार्य करना है, सहकर्मियों से कैसे काम लेना है, बॉस से किन विषयों पर चर्चा करना है .... आदि आदि। बच्चों के लिए स्कूल का होमवर्क, Assignments, school Bag तैयार करना .... आदि आदि। यानी रोजमर्रा होने वाले कार्य, जो कि आप इन उदाहरणों से समझ गए होंगे। अब आम बोलचाल में कहें तो इस प्रकार के कार्यो के लिए हमे निर्णय करते समय अधिक सोच विचार नहीं करना पड़ता और ना ही अपने आप को ज्यादा उलझना पड़ता है क्योंकि हम सब इस प्रकार के कार्यो और निर्णयों के आदि हो चुके (Use to) है।
2. वैचारिक या बौद्धिक निर्णय : - इस दूसरे प्रकार को समझने से पहले हम ये मान लेते है, कि जिन कार्यो के हम आदि नहीं है वे सब इसी प्रकार में आएंगे, जिन गतिविधियों का समय कुछ अधिक हो यानी जहां हमें विचारने और परखने के लिए कुछ समय मिल जाता है। और जहां हम अपनी बौद्धिक क्षमता को टटोल सकते है अर्थात अन्य शब्दों में कहें तो इसमें हमारे अंदर निहित गुण बाहर आते है , जैसे नम्रता, धैर्य, व्यवहार, दूरदृष्टि, सूझबूझ ... आदि गुणों की परख होती है। इस प्रकार के अनेक गुण हमें जीवन के संघर्ष में पारंगत बनाते है।
मेरा निर्णय : - इसमें हम सभी को ये जानना होता है कि सभी उपरोलिखित इन दो प्रकार के निर्णयों में अपने आप को पाते है। मेरे विचार से भी मैने हमेशा पाया है कि मेरा सारा जीवन इन दो प्रकारों के इर्द गिर्द ही घूमता हुआ नजर आता है। जितनी ही आसानी से व्यवहारिक निर्णय हो पाते है उतनी आसानी से वैचारिक निर्णय नहीं लिए जा सकते, पर एक बात तो तय है कि वैचारिक / बौद्धिक निर्णयों के लिए व्यवहारिक निर्णयों का होना अति आवश्यक है क्योंकि इन्ही की वजह से हमारा अभ्यास हो पाता है और बौद्धिक निर्णयों में पारंगत होने के लिए हम सक्षम हो पाते है। आने वाले समय में इस विषय पर और अधिक विस्तार से चर्चा करने की कोशिश करूंगा और अन्य विषय पर चर्चा के लिए भी अपनी कलम को यहीं विराम देने की अनुमति चाहूँगा।
आने वाले समय में इस श्रृंखला - एक नई सोच को अवश्य पढ़ें और यदि आपको इन लेखों को पढ़कर लगता है कि यह लेख अन्य सभी के लिए उपयोगी साबित होंगे, तो इन्हें आप सभी के साथ शेयर करें। साथ ही साथ आप किसी भी विषय पर जानकारी चाहते है तो अवश्य लिखे मेरी यह कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द उस विषय पर एक नई सोच के साथ प्रकाश डाला जाए।
यह लेख पढ़कर आपको कैसा लगा अवश्य बताये
चित्र साभार Google
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निर्णय लेने की कला पर प्रकाश डाला है बहुत बढ़िया
ReplyDeleteहम सही समय पर सही निर्णय ले पाएं यह गुण लना है 🙏🙏
नीना अग्रवाल
very good thoughts
DeleteVery good 👍
ReplyDeleteNice👌
आप सभी का तहेदिल 💗💗 से धन्यवाद ..... 🙏🏻🙏🏻💐💐
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteप्रिय मुकेश , निर्णय लेने की क्षमता पर आपने अभूतपूर्व चिंतन किया है | निर्णय लेने की क्षमता ही किसी के जीवन के उठते -गिरते स्तर को तय करती है |इस सार्थक लेख के लिए हार्दिक शुभकामनाएं| सस्नेह
ReplyDeleteआपके मार्गदर्शसन के लिए स्नेहवन्दन ..... ।।
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