क्या आप जानते है .... ??
कि संस्कृत भाषा ही सब भाषाओं की जननी है, तो इस पर तो हम भारतीयों को गर्व होना चाहिए, जबकि दुनिया के सभी देशो के इतिहास उसकी अपनी भाषा लिपियों में निहित है, और वह देश अपनी भाषा-लिपि पर गर्व महसूस करते हैं तो हमें संकोच क्यों ?
जबकि संस्कृत भाषा तो सभी भाषाओं की जननी है हमें तो इस पर गर्व करना चाहिए। अतः हम अपनी भाषा का अभिमान जागृत करें।
कि संस्कृत भाषा ही सब भाषाओं की जननी है, तो इस पर तो हम भारतीयों को गर्व होना चाहिए, जबकि दुनिया के सभी देशो के इतिहास उसकी अपनी भाषा लिपियों में निहित है, और वह देश अपनी भाषा-लिपि पर गर्व महसूस करते हैं तो हमें संकोच क्यों ?
जबकि संस्कृत भाषा तो सभी भाषाओं की जननी है हमें तो इस पर गर्व करना चाहिए। अतः हम अपनी भाषा का अभिमान जागृत करें।
जिस भाषा को हमारे यहां के धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक पढ़े लिखे लोग एक सांप्रदायिक भाषा या बेकार भाषा कहकर इसका तिरस्कार करते हैं वहीं दूसरी तरफ विदेशी लोग इसी भाषा को अपनाकर अपने देश और विज्ञान का विकास कर रहे हैं।
दुनिया की जो भी भाषाएं विश्व में विशिष्ट मानी जाती हैं जैसे डच, इटालियन, जर्मन, स्पेनिश, फ्रेंच, रशियन, पोर्तुगिश ..... इत्यादि सभी भाषाएं संस्कृत से निकली है।
जर्मन लोग इसे स्वीकार कर चुके हैं कि जर्मन भाषा संस्कृत की ही देन है और उन्होंने अपनी एयरलाइन्स का नाम संस्कृत में लुफ्थांसा रखा है, और तो और आजकल जर्मनी के विश्वविद्यालय में संस्कृत की पढ़ाई पर सबसे ज्यादा पैसे खर्च किए जा रहे हैं, जर्मनी दुनिया का पहला देश है जिसने एक विशेष विश्वविद्यालय को संस्कृत के लिए समर्पित कर दिया है जहां पर एक विभाग सिर्फ चरक संहिता के लिए ही समर्पित है।
कंप्यूटर को चलाने के लिए भी सबसे अच्छी भाषा का उपयोग हो सकता है तो वह है संस्कृत। क्योंकि दुनिया की सबसे अच्छी alogrithim अगर बनी है, तो वह है संस्कृत में। संस्कृत की एक और यह विशेषता भी है, कि इसका व्याकरण एकदम पक्का व सुनिश्चित है और लाखों वर्षो से एक ही है। इसीलिए जर्मन और फ्रेंच भाषा संस्कृत को ही अपना आधार मानती है।
कंप्यूटर को चलाने के लिए भी सबसे अच्छी भाषा का उपयोग हो सकता है तो वह है संस्कृत। क्योंकि दुनिया की सबसे अच्छी alogrithim अगर बनी है, तो वह है संस्कृत में। संस्कृत की एक और यह विशेषता भी है, कि इसका व्याकरण एकदम पक्का व सुनिश्चित है और लाखों वर्षो से एक ही है। इसीलिए जर्मन और फ्रेंच भाषा संस्कृत को ही अपना आधार मानती है।
पर आज विडंबना यह है कि अनेक देशों में संस्कृत पढ़ाने के अनेक स्कूल प्रारंभ हो चुके है पर हमारा देश इससे पिछड़ता जा रहा है पर यह समझ ले कि आने वाला समय भारतीय संस्कृत और संस्कृति का ही रहने वाला है।
भाषाओं की जननी संस्कृत को छोड़कर भारतवर्ष की युवा पीढ़ी पश्चिम की नकल कर रही है परंतु यह हमारे लिए बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है। तो आइए आज हम प्रण लेते हैं आने वाले समय में भारतीय संस्कृति को ही उजागर करना है और विश्व में फिर से विश्व गुरु का स्थान पाना है।
--–-----------------------------
क्या आप जानते है ....…... ??
1. गणित शास्त्र का जन्मदाता कौन ???
2. विश्व को प्रथम बैटरी किसकी देन ??
--–-----------------------------
क्या आप जानते है ....…... ??
1. गणित शास्त्र का जन्मदाता कौन ???
2. विश्व को प्रथम बैटरी किसकी देन ??
यदि युवा पीढ़ी में नव चेतना का संचार करना है, तो एक नई सोच के साथ संस्कृत को फिर उसी मुकाम पर लाने के लिए इसे फिर से उसी उमंग और उत्साह से अपनाना होगा, जिस तरह हमारे पूर्वज इसे अपनी धरोहर मानते थे, इसी के साथ आज के लेख को यहीं विराम देते हुए जल्द से जल्द मिलने की आशा के साथ ........ 🖊️🖊️
चित्र साभार गूगल
सधन्यवाद
🙏🏻🙏🏻
अतभूध
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteअति उत्तम 👌🙏
ReplyDeleteअति उत्तम 👌🙏
ReplyDeleteआप सभी का तहेदिल से धन्यवाद .... ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया 👌
ReplyDelete