क्या होती है ... ??
आज सुबह उठते ही हर तरफ से व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर ... आदि पर संदेश आने लगे मातृ दिवस की शुभकामनाओं को लेकर। सारा दिन ये विचार चलता रहा कि क्या माँ के लिए भी कोई दिन होता। फिर विचार आया कि मेरा तो हर दिन ही माँ होती है। एका एक विचार आया की मैं भी कुछ लिखूं पर साहस न कर पाया कि माँ क्या होती है क्योंकि उसे शब्दों में बांधना बड़े ही साहस की बात है, क्योंकि
माँ गोद होती है
माँ आँचल होती है
माँ छाया होती है
माँ अम्बा होती है
माँ जगदम्बा होती है
माँ कल्याणी होती है
घर परिवार में क्या होती है - माँ ?
माँ नम्रता होती है
माँ ज़िम्मेदारी होती है
माँ सुरक्षा होती है
माँ एहसास होती है
माँ लक्षणा और सुलक्षणा होती है
यहाँ तो हम सब नदियों को भी माँ कहते है.
माँ गंगा होती है
माँ जमना होती है
माँ सरस्वती होती है
माँ गोदावरी होती है
माँ नर्मदा और कावेरी होती है
देवियों में क्या होती है - माँ ?
माँ लक्ष्मी होती है
माँ दुर्गा होती है
माँ काली होती है
माँ पार्वती होती है
माँ जानकी होती है
माँ अम्बा होती है
और जगदम्बा भी
सृष्टि में क्या होती है - माँ ?
झरने और तालाब है माँ
पक्षियों की आवाज है माँ
नभ और आकाश है माँ
दिन में प्रकाश है माँ
रात की चांदनी और तारे है माँ
धरती माँ खुद एक माँ है फिर भी.
पौधे पर गुलाब है माँ
पेड़ और शाख है माँ
उपवन और उद्यान है माँ
आमो की मिठास है माँ
सभी फूलों की सुगंध है माँ
पतझड़ बाद नई कोपलें है माँ
तभी तो खुद वसुंधरा है माँ
कवियों और लेखकों के लिए क्या है - माँ ?
शब्दों का अंबार है माँ
कविता और कहानी है माँ
गीत और गजल है माँ
साज और संगीत है माँ
लेखकों की आवाज है माँ
कवियों का तो राज़ है माँ
मेरे लिए क्या है - माँ .... ?
बड़ी भोली मेरी माँ
मेरी खुशी है माँ
मेरा एहसास है माँ
मेरे लिये आशीष है माँ
मेरे हाथों की लकीर है माँ
मेरा भाग्य और किस्मत है माँ
मेरा जहाँ और संसार है माँ
लिखना तो बहुत चाहता हूँ फिर विचार आया कि माँ के लिए मैं क्या लिख सकता हूँ ??
मेरी सोच है माँ
और विचार भी है माँ
मेरी धड़कन और स्वांस है माँ
मेरा लहू और हाड़ मांस है माँ
मेरी कलम और आवाज है माँ
मुझे लगता है, मेरा संसार है माँ
ये तो गलत है ....... ?????
मेरा तो पूरा ब्रह्माण्ड है माँ
यदि सागर से गहरा कुछ है, तो वह है - माँ
यदि हिमालय से कुछ ऊंचा है, तो वह है - माँ
यदि आसमान से बड़ा कुछ है, तो वह है - माँ
मुझे लगता है माँ ही सबकुछ है तभी तो जब भी, भगवान भी इस धरा पर अवतरित हुआ, तो वह भी माँ के गर्भ से जबकि वह तो खुद हर प्रकार से समर्थ है वह तो ऐसे भी अवतरित हो सकता है। पर उसे भी माँ की आवश्यकता पड़ी अर्थात
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पूरे विश्व के शब्द कोष भी कम है माँ की महिमा के लिए।
विश्व और ब्रह्मांड की सभी "माँओं" को समर्पित।
मेरे लिए तो हर दिवस मातृ दिवस है, पर फिर भी सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
सधन्यवाद .... 💐💐
क्या बात है मुकेश जी आपने तो सब कुछ ही मां को समर्पित कर दिया है।बहुत सुंदर लिखा है।आपकी मा को नमन। सर श्री की कृपा आप पर सदा बरसती रहे।🙏🙏🌷🌷
ReplyDeleteये सब अभिव्यक्तियाँ उसे (माँ) समर्पित ....🙏🏻🙏🏻💐💐
Deleteएक शब्द में सब कुछ है वो है "माँ" सुच कहा आपने
DeleteMaa ek sabad sabkuch samaya hai jisme, bahut hi sunder abhivayakti
DeleteVery nice👌🙏
ReplyDeleteKeep it up 👍👍
आपकी मां को सदैव आप पर गर्व होगा
ऐसे ही लिखते रहिए।🙏
आप सभी के द्वारा दिये गए मार्गदर्शन से यह सब संभव हो पाया।
Deleteसधन्यवाद .... 💐💐
Put kaput sune he mata , mata sjni na kumata.. .kalam ko salam jis kalam ne itne sunder vakya likhe ......mukesh ji ka hridya se snehpurn dhanyavad maa ke liye swarn se bhi kimti shabd likhne ke liye ...koti naman he maa ko aur us maa ke lal ko jinhone aapko ye suvichar diye ...aap bane raho..best regards from virender kumar
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद ....💐💐💐
Deleteवाह .... माँ के बाते में इतना कुछ है यहाँ ...
ReplyDeleteकमाल की पोस्ट ...
एक नई सोच पर आपका स्वागत है ...💐💐
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11 -5 -2020 ) को " ईश्वर का साक्षात रूप है माँ " (चर्चा अंक-3699) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
क्षमा चाहती हूँ आमंत्रण में मैंने दिनांक गलत लिख दिया हैं ,आज 12 -5 -2020 की प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत हैं। असुविधा के लिए खेद हैं।
Delete
Deleteमेरे द्वारा लिखे इस काव्य लेख को आपने पढ़ा उसके लिए धन्यवाद और "चर्चा मंच" पर इस काव्य लेख की प्रविष्टि के लिए इसे स्थान दिलवाया उसके लिए भी मैं आपका आभारी रहूँगा। आप जैसे सहयोगियों की वजह से ही हम जैसे नौसिखिए लेखकों को प्रोत्साहन और मार्गदर्शन मिलता है। एक बार फिर से आपका बहुत बहुत धन्यवाद ....💐💐💐
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद ....💐💐
Deleteतभी तो माँ और जन्मभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर कहा गया है
ReplyDelete"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी"
बहुत अच्छी प्रस्तुति
आपका बहुत बहुत धन्यवाद .....💐💐💐
Deleteमाँ पर बहुत उत्कृष्ट काव्य
ReplyDeleteएक नई सोच पर आपका स्वागत है ...💐💐
Deleteमाँ को सब समर्पित। 🙏🙏🙏बड़ी सुंदर रचना है आपकी।
ReplyDeletehttps://www.myblogpage.in/2020/06/17/shiv-shakti/
इसे भी ज़रूर पढ़ियेगा। माँ देवी का दूसरा नाम ही तो है
Bhut sunder khushi or samrpan ka dusra naam hai *Maa*
ReplyDeleteसुंदर रचना 👌
ReplyDeleteआप को बहूत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteवाह अति सुन्दर रचना,,👌
ReplyDeleteमां की महिमा को आपने बड़े ही सुंदर शब्दों में पिरोया है ।अतिउत्तम रचना !!!Keep it up👍👍👍
ReplyDeleteVery nice👍👍
ReplyDeleteKeep it up 🙏🙏👌👌