क्या आप जानते है .... ??
एक नई सोच में मेरी कलम द्वारा पहले ही एक लेख (सोच का सकारात्मक पहलु) में (सकारात्मकता VS नकारात्मकता) पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई थी, उसी श्रृंखला को आगे बड़ाते हुए आज मैं सकारात्मक शब्दों पर चर्चा करने वाला हूं जिसमें सिर्फ एक शोध (प्रयोग) आपके सामने प्रस्तुत है।
वैज्ञानिकों द्वारा एक प्रयोग किया गया। जिसमें बिल्कुल एक ही प्रकार के 2 पौधे लिए गए और वह भी एक ही प्रजाति के। उन्हें एक ही जैसे दो पात्रों में रखा गया फिर इन दोनों पात्रों पर कागज का आवरण लगाया गया। पहले पात्र पर लगे कागज पर सकारात्मक शब्द व सुविचार लिखे गए जबकि दूसरे पात्र पर दुराचार व नकारात्मक शब्द लिखे गए। उसके बाद दोनों पात्रों को एक समान वातावरण में एक दूसरे से कुछ दूरी पर रखा गया, ताकि दोनों पौधों को समान मात्रा में पानी, खाद व सूर्य की किरणें मिलें। पर दोनों की परवरिश में सिर्फ एक ही अंतर रखा गया था, कि जब भी कोई उनके पास जाये तो सिर्फ पात्रों पर लगे कागज पर लिखे गए शब्दों को दोहराया जाए और फिर ऐसा ही किया गया।
पहले पौधे के पास जो भी जाता तो उस पर लिखे हुए सुविचारों को दोहराता, जबकि दूसरे पौधे के समक्ष जाता तो उस पर अंकित नकारात्मक शब्दों और विचारों को दोहराता था। इसी प्रकार समय व्यतीत होता गया और 2 सप्ताह पश्चात दोनों में से एक जैसे दिखने वाले, एक समान पोषण पाने वाले पौधों में बहुत अंतर आ चुका था। पहला पौधा जिसे सकारात्मक शब्दों का स्पर्श मिला, वह इस प्रकार विकसित और पल्लवित हो रहा था मानो कुदरत उस पर मेहरबान हो। किंतु दूसरा पौधा जिसे नकारा गया था, नकारात्मक शब्दों को दोहराया गया था वह निष्प्राण हो चला था। जैसे किसी ने उसे विकसित होने से रोक दिया हो। उस पर छोटे-छोटे धब्बे उभर आए थे, ध्यान से देखने पर स्पष्ट हुआ कि दरअसल वह मकड़ी के जाले थे।
पहले पौधे के पास जो भी जाता तो उस पर लिखे हुए सुविचारों को दोहराता, जबकि दूसरे पौधे के समक्ष जाता तो उस पर अंकित नकारात्मक शब्दों और विचारों को दोहराता था। इसी प्रकार समय व्यतीत होता गया और 2 सप्ताह पश्चात दोनों में से एक जैसे दिखने वाले, एक समान पोषण पाने वाले पौधों में बहुत अंतर आ चुका था। पहला पौधा जिसे सकारात्मक शब्दों का स्पर्श मिला, वह इस प्रकार विकसित और पल्लवित हो रहा था मानो कुदरत उस पर मेहरबान हो। किंतु दूसरा पौधा जिसे नकारा गया था, नकारात्मक शब्दों को दोहराया गया था वह निष्प्राण हो चला था। जैसे किसी ने उसे विकसित होने से रोक दिया हो। उस पर छोटे-छोटे धब्बे उभर आए थे, ध्यान से देखने पर स्पष्ट हुआ कि दरअसल वह मकड़ी के जाले थे।
अंततः प्रयोगकर्ता इस परिणाम पर पहुंचे कि "शब्द, विचार, आवाज - ये सभी ऊर्जा और स्पंदन हैं। जो सभी पर बहुत गहरा प्रभाव डालते हैं। ठीक वैसे ही जैसे कि हिटलर सुनते ही हमारे मस्तिष्क में भय, रक्तपात, हत्या की छवियाँ उभर आती हैं ... और वहीं दूसरी ओर अगर हम मदर टेरेसा का नाम सुनते है तो प्रेममयी व दयामयी भाव उभर आते है।
यह तो सिर्फ एक शोध था पर इससे यह तो जाहिर हो चुका है, कि हर प्रकार के शब्दों में बहुत बड़ी शक्ति होती है साथ ही साथ इससे यह भी पता चलता है कि नकारात्मक और सकारात्मक शब्दों का किस प्रकार से हमारे जीवन में असर पड़ सकता है। यदि 2 पौधों पर इस प्रकार के परिणाम निकले तो शब्द निश्चय ही हमारे जीवन में भी इसी प्रकार से असर दिखाते है। अब यह तो हमारे पर निर्भर है, कि हम किस प्रकार के शब्दों का चयन करते है और जीवन में लिए गए निर्णयों का आनंद ले सकते है।
आगे किसी नए विषय पर चर्चा के लिए मेरी कलम को यहीं विश्राम देता हूँ ....... 🖌️
आगे किसी नए विषय पर चर्चा के लिए मेरी कलम को यहीं विश्राम देता हूँ ....... 🖌️
आने वाले समय में इस श्रृंखला - एक नई सोच को अवश्य पढ़ें और यदि आपको इन लेखों को पढ़कर लगता है कि यह लेख अन्य सभी के लिए उपयोगी साबित होंगे, तो इन्हें आप सभी के साथ शेयर करें। साथ ही साथ आप किसी भी विषय पर जानकारी चाहते है तो अवश्य लिखे मेरी यह कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द उस विषय पर एक नई सोच के साथ प्रकाश डाला जाए।
यह लेख पढ़कर आपको कैसा लगा अवश्य बताये।
चित्र साभार Google
बहुत बढ़िया और सही बात कही
ReplyDeleteसकारात्मक सोच सकारात्मक वाणी से ही अच्छे परिणाम आते हैं 🙏🙏
उत्तम दृष्टिकोण प्रदान करने वाली पोस्ट। सकारात्मकता भावी जीवन में हर कदम पर प्रभावशाली व्यक्तित्व और परिस्थिति का निर्माण करती है।
ReplyDeleteइंदु जी और नीना जी आपका बहुत बहुत आभार, क्योंकि आपके प्रेरणा भरे शब्द ही मुझे और ज्यादा लिखने के लिए प्रेरित करते है। साथ ही साथ आप तक हर दिन एक नए विषय पर अपने विचार पहुँचाने की कोशिश रहती है।
ReplyDeleteसधन्यवाद
🙏🏻🙏🏻
Super
ReplyDeleteधन्यवाद ... ।
ReplyDeleteसकारात्मक और नकारात्मक हमारे अपने मन की उपज है इसलिए हमें स्वयं ही यह तय करना होता है हमें कौन से फसल उगानी है और किसे नहीं
ReplyDeleteअच्छी विचारशील प्रस्तुति
कविता जी, एक नई सोच पर आपका स्वागत है।
Deleteधनयवाद ....।
🙏🏻🙏🏻
कविता जी, एक नई सोच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteधनयवाद ....।
🙏🏻🙏🏻
अपने लेख में आपने जो भी लिखा बहुत बढ़िया सोच है। सकारात्मक सोच से हमारा जीवन और सरल हो जाता है।🙏👍
ReplyDeleteVery nice lines...
ReplyDelete,👌👍🙏