कल जैसा कि एक खबर को पढ़ा, कि सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की, तो कुछ पल के लिए मन विचलित हुआ और उनके बारे में सोचा कि उन्हें क्या और किस बात की कमी थी।
वह तो एक नामी कलाकार थे और उनकी अपनी खुद की एक शख्शियत थी, वह खुद शिक्षित थे और शिक्षित परिवार से थे। पर ऐसा क्या था, जो उन्होंने ऐसा कदम उठाया। किसी प्रकार की कोई आर्थिक रूप से तंगी नहीं पर ऐसा क्या खालीपन था जो जीवन में इस प्रकार से उन्होंने आत्महत्या की। हालांकि आज की समस्याओं को देखते हुए, आज के जीवन को देखते हुए यह एक विचारणीय विषय है।
कभी कभी जीवन में नकारात्मकता इतनी ज्यादा बड़ जाती है, कि वह तनाव का रूप ले लेती है।
तनाव : - तनाव यानी क्या ?
तनाव एक भावनात्मकता लिए होता है, जो हमारे मन पर (अंतर्मन तक) गहराइयों तक अपना भाव और प्रभाव प्रकट करता है। नकारात्मक भावना का अपना एक उद्देश्य होता है जो हमे यह दर्शाती है, कि आज कोई ऐसा कार्य नहीं हुआ या ऐसी कोई बात नहीं हुई जिससे हमें खुश होने की जरूरत है। आप इस भावना को किसी शब्द या वाक्य में व्यक्त कर सकते हैं, पर ऐसी भावनाएं इस प्रकार हमारे अंदर तक घर कर जाती है, कि हम अपनी उस बात को आगे किसी के साथ भी सांझा (शेयर) नहीं कर पाते और ना ही किसी के आगे रख पाते हैं। तब तनाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि हम से वह अनहोनी करवा देता है जो हमारे जीवन को भी क्षति पहुचाती है, यानी हमारे जीवन को नष्ट भी कर सकती है।
व्हाट्सएप्प पर आया एक संदेश 👇🏻👇🏻👇🏻
तनाव के उन क्षणों में मजबूत लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं..
वो लोग जिनके पास सब कुछ है
शान ... शौकत ... रुतबा ... पैसा .. इज्जत
इनमें से कुछ भी उन्हें नहीं रोक पाता ..
तो फिर क्या कमी रह जाती है .... ???
कमी रह जाती है उस ऊँचाई पर
एक अदद दोस्त की .....
कमी होती है उस मुकाम पर
एक अदद राजदार की .....
एक ऐसे दोस्त की जिसके साथ "चांदी के कपों" में नहीं
किसी छोटी सी चाय के दुकान पर बैठ
सकते ....
जो उन्हें बेतुकी बातों से जोकर बन कर हंसा पाता ....
वह जिससे अपनी दिल की बात कह हल्के हो सके..
वह जिसको देखकर
अपना तनाव भूल सके
वह दोस्त
वह यार
वह राजदार
वह हमप्याला
उनके पास नहीं होता
जो कह सके तू सब छोड़ ....
चाय पी मैं हूं ना तेरे साथ ....
चाय पी मैं हूं ना तेरे साथ ....
और आखिर में
यही मायने कर जाता है....
सारी दुनिया की धन दौलत एक तरफ ....
आने वाले लेखों में तनाव को दूर करने के उपायों के बारे में भी पढ़ेंगे।
बहुत अच्छा लेख मुकेश जी!धन्यवाद।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद ... 💐💐
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-6-2020 ) को "साथ नहीं कुछ जाना"(चर्चा अंक-3734) पर भी होगी, आप भी सादर आमंत्रित हैं।
---
कामिनी सिन्हा
सादर नमस्कार ,
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-6-2020 ) को "साथ नहीं कुछ जाना"(चर्चा अंक-3734) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
---
लिंक खुलने में समस्या हुई इसकेलिए क्षमा चाहती हूँ ,मैंने अब सुधार कर दिया हैं।
कामिनी सिन्हा
नमस्कार कामिनी जी,
Deleteमेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।
सधन्यवाद ... 💐💐
Very good article. Completely true and everyone should think accordingly. Nicely expressed.
ReplyDeleteMay his soul rest in peace. May God give strength and courage to everyone.
Thanks .... 💐💐
DeleteMay his soul rest in peace.one should have one person in life with whom one can share miseries in life to overcome such mishaps
ReplyDeleteGreat,
DeleteThanks for your great thinking about this matter.
💐💐💐💐
👏
ReplyDeleteThankyou ... 💐💐
Deleteसारी दुनिया की धन दौलत एक तरफ ....
ReplyDeleteऔर एक हमसफर दोस्त एक तरफ ....
बहुत अच्छा लिखा प्रिय मुकेश | अवसाद ने एक होनहार सितारा निगल लिया | काश ! उसे भी कोई मन की बात समझने वाला सही समय पर मिल गया होता |उसकी निश्छल मुस्कान कभी नहीं भुलाई जा सकेगी |
जी दीदी,
Deleteउनकी निश्चल मुस्कान कभी नहीं भुलाई जा सकती, पर मेरा मानना है यह, कि अब हम सभी को मिलकर बीड़ा उठाना होगा कि लेखनी की ताकत से युवा पीढ़ी के बीच इस प्रकार की जागृति लाये, कि फिर किसी की मुस्कान यूं गायब न हो, इस बात से अगर आप सहमत है तो जरूर बताईयेगा।
👍👍👍👍
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 16 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
नमस्ते,
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 16 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
नमस्कार आदरणीय,
Deleteमेरी रचना को "पाँच लिंको का आनंद पर" शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।
सधन्यवाद ... 💐💐
कमी रह जाती है उस ऊँचाई पर
ReplyDeleteएक अदद दोस्त की ..... किसी कमी से ज़िंदगी मिटाने का फैसला लेना इतना आसान भी नहीं होता। क्या वजह रही होगी, इस बात का जवाब शायद कभी न मिले, यूँ अचानक मौत को गले लगा एक होनहार सितारा तारों में मिल गया। सिर्फ अवसाद के कारण? सुशांत का यह फैसला कई सवाल छोड़ गया। हृदयस्पर्शी लेखन।
नमस्कार आदरणीया,
Deleteजी सुशांत कई सवाल छोड़ गया हम सभी के लिए, कि कलम की ताकत से युवा पीढ़ी के बीच इस प्रकार की जागृति लाये, कि फिर किसी की मुस्कान यूं गायब न हो, इस बात से अगर आप सहमत है तो जरूर बताईयेगा।
एक पहलू और है रोग और मनोरोगी को इलाज की जरूरत होती है। इलाज तब हो पाता है जब किसी को लगे कि कोई बीमार है और बीमारी को महसूस कर उसका इलाज हो। स्रीजोफीनिया जिसे स्प्लिट पर्स्नैलिटि के नाम से भी जाता है कई लोगों में पाया जाता है और दवाइयों के साथ रोगी एक लम्बी उम्र जीता है।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय,
Deleteइस लेख के बाद जो भी कमैंट्स भी पढ़ेंगे उन्हें यह जानकारी भी मिल जाएगी, और इस जानकारी को भी वे सभी आगे शेयर करने ही वाले है और मेरा मानना है कि हम सभी को इस बारे में विचार केरना चाहिए और लिखना भी चाहिए।
सधन्यवाद ... 💐💐
वाह!बहुत खूब!!कितने गहरे अवसाद में डूबा होगा सुशांत ,मौत को यूँ गले लगाना कोई आसान काम नहीं ।
ReplyDeleteनमस्कार शुभा जी,
Deleteनई सोच पर आपका स्वागत है ... 💐💐
सारी दुनिया की धन दौलत एक तरफ ....
ReplyDeleteऔर एक हमसफर दोस्त एक तरफ ....
चल पड़े कभी न खत्म होने वाले सफर पर
सादर..
एक नई सोच पर आपका स्वागत है।
Deleteधन्यवाद 💐💐
बहुत ही सुंदर और सार्थक लिखा है आदरणीय आपने .
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया 💐💐
DeleteNice story
ReplyDeleteधन्यवाद सर ....💐💐💐
DeleteVery nice 👌👌👍
ReplyDeleteधन्यवाद 💐💐
DeleteTrue
ReplyDelete